बिहार के 24 लॉ कॉलेजों में फिलहाल सिर्फ तीन को मान्यता, अधिसंख्य में कई साल से नहीं हो रही पढ़ाई

बिहार में एलएलबी यानी कानून की पढ़ाई के लिए 24 सरकारी व निजी लॉ कॉलेज हैं। इनमें चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी सहित सिर्फ तीन ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से मान्यता प्राप्त हैं। 111 वर्ष पुराने पटना लॉ कॉलेज सहित सात अन्य विधि महाविद्यालयों ने मान्यता के लिए आवेदन किया है। जबकि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आ‌र्ट्स एंड साइंस, पटना सहित 16 कॉलेजों ने आवेदन ही नहीं किया है। अधिसंख्य कॉलेजों में कई साल से पढ़ाई नहीं हो रही है।

वहीं, 2018 में खुले पाटलिपुत्र, मुंगेर और पूर्मिया विश्वविद्यालय को विधि की मान्यता नहीं है। इस कारण इनसे संबंद्ध विधि कॉलेजों की परीक्षा बाधित हो रही है। पीपीयू के अंतर्गत दो निजी कॉलेज हैं। दोनों में नामांकन हो रहा है। लेकिन, परीक्षा सिफर है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्रा ने बताया कि मान्यता के लिए आवेदन के साथ कुछ शुल्क जमा करना है। कई कॉलेज जिनकी पूर्व में मान्यता रद की गई थी। उनमें अधिसंख्य ने आवेदन ही नहीं किए हैं। पटना लॉ कॉलेज सहित कई विधि कॉलेजों की मान्यता के लिए इसी साल टीम निरीक्षण के लिए गई थी। तय मानक पूरा करने पर ही अस्थायी मान्यता बहाल की जाएगी।

मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके वर्मा ने बताया कि मान्यता के लिए शुल्क जमा कर दिया गया है। शिक्षक के पद भी चिह्नित कर लिए गए हैं। लॉकडाउन के कारण शिक्षकों की नियुक्ति में विलंब हो रहा है।

केंद्रीय मंत्री व बार कौंसिल चेयरमैन का कॉलेज भी संकट में

बीसीआई अधिकारियों के अनुसार पटना लॉ कॉलेज की मान्यता फैकल्टी की निर्धारित संख्या नहीं होने के कारण अधर में है। फैकल्टी के लिए 2012 से नियमित पत्र भेजा जा रहा है। पटना विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल मनोज मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण 14 गेस्ट फैकल्टी का चयन नहीं हो सका है। मान्यता के लिए बार काउंसिल से संपर्क में हैं। जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। 2020-21 में नामांकन के लिए आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन मिश्रा पटना लॉ कॉलेज के पूर्ववर्ती छात्र हैं। इस कॉलेज से दो पूर्ववर्ती छात्र सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।

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