सफाई कर्मी को नियमित करने के आदेश को चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, उत्तर प्रदेश सरकार पर लगाया 25 हजार का जुर्माना
माला दीक्षित, नई दिल्ली। 30 वर्ष से काम कर रही सफाई कर्मी को नियमित करने के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर नाराजगी जताते हुए 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी फालतू याचिका दाखिल करने पर प्रदेश सरकार पर जुर्माना लगाया जाता है। अदालत ने प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में जुर्माने की रकम सफाई कर्मी को देने का निर्देश दिया। साथ ही दो महीने के भीतर सफाई कर्मचारी को नियमित करने के आदेश पर अमल करने को कहा।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और अभय एस ओका की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका खारिज करते हुए दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, रिकार्ड देखने से पता चलता है कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि अनीता देवी 15 मई, 1991 से सफाई कर्मी के तौर पर काम कर रही है। हाई कोर्ट ने रूल 2016 के तहत उसे नियमित किए जाने पर विचार करने का आदेश दिया है। पहले हाई कोर्ट की एकलपीठ ने उसे नियमित करने का आदेश दिया। फिर खंडपीठ ने भी उस पर मुहर लगाई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों अदालतों ने माना है कि अनीता देवी ने रूल 2016 के तहत नियमित होने का अपना केस साबित किया है। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल सिद्धार्थ धर्माधिकारी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि उन्हें मामले में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी फालतू याचिका दाखिल करने पर प्रदेश सरकार पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाता है। प्रदेश सरकार चार सप्ताह के भीतर यह रकम सफाई कर्मी अनीता देवी को देगी।
यह मामला उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले का है। अनीता देवी 15 मई, 1991 से पार्ट टाइम सफाई कर्मी के तौर पर काम कर रही है। नौ अगस्त, 2018 को उसने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर नियमित किए जाने की मांग की। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को अनीता देवी के ज्ञापन पर विचार करने का आदेश दिया। प्रदेश सरकार ने ज्ञापन पर विचार करने के बाद मांग ठुकरा दी।
इसके बाद अनीता ने फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश सरकार को सफाई कर्मी का अतिरिक्त पोस्ट सृजित कर अनीता देवी को नियमित करने का आदेश दिया। लेकिन इस आदेश को प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ में चुनौती दी। खंडपीठ ने सरकार की याचिका खारिज कर दी और नियमित करने के आदेश पर मुहर लगाई।
इसके बावजूद राज्य सरकार ने अनीता देवी को नियमित नहीं किया और खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। प्रदेश सरकार की दलील थी कि हाई कोर्ट सरकार को पद सृजित करने का आदेश नहीं दे सकता। यह भी कहा कि अनीता देवी की नियुक्ति पार्ट टाइम कर्मचारी के तौर पर हुई थी। वह सेवा नियमित किए जाने की हकदार नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सारी दलीलें खारिज कर दी।
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