हाईकोर्ट की टिप्पणी: पाकिस्तानी कानून भारत में कैसे हो सकता है लागू, पति बना रहा था दूसरी शादी की योजना, पत्नी ने जताई आपत्ति तो…
पीठ ने उनके तर्क पर असहमति जताते हुए कहा यह शरीयत कानून नहीं है, यह प्रथागत कानून नहीं है। यह पाकिस्तानी कानून है। यह भारत पर कैसे लागू होगा? पीठ ने कहा हमें दिखाएं कि भारतीय कानून कहां कहता है कि किसी अन्य महिला से शादी करने से पहले मौजूदा पत्नी की सहमति पति को लेनी होगी।
उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक महिला को अपने दावे से संबंधित दस्तावेज पेश करने को कहा कि एक मुस्लिम पति को दूसरी शादी करने से पहले अपनी मौजूदा पत्नी से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है। अदालत ने महिला के उस तर्क पर असहमति जताई कि ऐसा काननू पाकिस्तान व बांग्लादेश में लागू है। अदालत ने कहा पाकिस्तान के कानून को भारत में कैसे लागू किया जा सकता है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने महिला के वकील को यह दिखाने के लिए दस्तावेज पेश करने को कहा कि शरीयत कानून के तहत एक मुस्लिम पति अपनी सभी पत्नियों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है।
महिला के वकील ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश जहां स्वतंत्रता पूर्व मुस्लिम व्यक्ति कानून (शरीयत) आवेदन अधिनियम लागू है, वहां मुस्लिम पति द्वारा द्विविवाह या बहुविवाह को विनियमित किया गया है।
पीठ ने उनके तर्क पर असहमति जताते हुए कहा यह शरीयत कानून नहीं है, यह प्रथागत कानून नहीं है। यह पाकिस्तानी कानून है। यह भारत पर कैसे लागू होगा? पीठ ने कहा हमें दिखाएं कि भारतीय कानून कहां कहता है कि किसी अन्य महिला से शादी करने से पहले मौजूदा पत्नी की सहमति पति को लेनी होगी। अदालत ने वकील से इस मुद्दे पर कानून और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने को कहते हुए सुनवाई 29 मार्च तय की है।
अदालत एक मुस्लिम महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याची ने कहा कि उसके 11 महीने के बच्चे के साथ उसके मुस्लिम पति ने छोड़ दिया है। महिला ने दावा किया कि उसे पता चला कि उसका पति उसे तलाक देकर किसी और से शादी करने की योजना बना रहा है।
याचिका में मांग की गई है कि एक मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी या पत्नियों की पूर्व लिखित सहमति प्राप्त किए बिना और आवास की पूर्व उचित व्यवस्था, उनके रखरखाव की व्यवस्था किए बिना ऐसा करने से रोका जाए। याची ने कहा पति का व्यवहार असंवैधानिक, शरीयत, अवैध, मनमाना, कठोर, अमानवीय, बर्बर और भेदभावपूर्ण है।
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